www.barisadri.comनवसंवत्सर हिन्दू नववर्ष की शुरुआत मानी जाती हैं। आगामी 5अप्रैल को विक्रम संवत 2076 की शुरुआत होगी। इस अवसर पर बड़ीसादड़ी में पंचमुखी बालाजी सेवा संस्थान एंव हिन्दू वादी संगठनों की और से नववर्ष के शुभागमन पर विशाल वाहन रैली का आयोजन किया जा रहा है।
इस रैली की शुरुआत 5 अप्रैल को बड़ीसादड़ी रेलवे स्टेशन से होगी। तथा बडीसादडी के विभिन्न मार्गों से होती हुई अपने सभापन स्थल की और बढे़गी।
हिंदू नववर्ष अंग्रेजी नववर्ष के ठीक विपरित हैं। अग्रेंजी नववर्ष के दौरान प्रकृति में किसी भी प्रकार का बदलाव नहींं होता हैं।
जबकि हिन्दू नववर्ष के आगमन के साथ प्रकृति में हर ओर
नये नये परिवर्तन परिलक्षित होते हैं।
प्रकृति में हर और अनोखी छटा देखने को मिलती हैं।
नीम के वृक्ष पर नई नई कपोलों का आगमन होता हैं। जिससें सम्पूर्ण वृक्ष की छटा देखते ही बनती हैं।
इसी कारण नववर्ष पर नीम की नई कपोलों के साथ मिश्री बांटीं जाती हैं। जिससे प्रत्येक व्यक्ति का जीवन नीम की कपोलों के समान कुछ कड़वा एंव मिश्री के समान कुछ मिठा बना रहें।
हम सभी यह कामना करते हैं।कि हिंदू नववर्ष हम सभी के लिए मंगलमय हो तथा वह सभी देश वासियों के जीवन में खुशियों का संचार करने वाला हों।
*इस परिप्रेक्ष्य मे मैं आप सब के समक्ष राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह " दिनकर " जी की कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ ।*
_*ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं*_
_*है अपना ये त्यौहार नहीं*_
_*है अपनी ये तो रीत नहीं*_
_*है अपना ये व्यवहार नहीं*_
_*धरा ठिठुरती है सर्दी से*_
_*आकाश में कोहरा गहरा है*_
_*बाग़ बाज़ारों की सरहद पर*_
_*सर्द हवा का पहरा है*_
_*सूना है प्रकृति का आँगन*_
_*कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं*_
_*हर कोई है घर में दुबका हुआ*_
_*नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं*_
_*चंद मास अभी इंतज़ार करो*_
_*निज मन में तनिक विचार करो*_
_*नये साल नया कुछ हो तो सही*_
_*क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही*_
_*उल्लास मंद है जन -मन का*_
_*आयी है अभी बहार नहीं*_
_*ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं*_
_*है अपना ये त्यौहार नहीं*_
_*ये धुंध कुहासा छंटने दो*_
_*रातों का राज्य सिमटने दो*_
_*प्रकृति का रूप निखरने दो*_
_*फागुन का रंग बिखरने दो*_
_*प्रकृति दुल्हन का रूप धार*_
_*जब स्नेह – सुधा बरसायेगी*_
_*शस्य – श्यामला धरती माता*_
_*घर -घर खुशहाली लायेगी*_
_*तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि*_
_*नव वर्ष मनाया जायेगा*_
_*आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर*_
_*जय गान सुनाया जायेगा*_
_*युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध*_
_*नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध*_
_*आर्यों की कीर्ति सदा -सदा*_
_*नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा*_
_*अनमोल विरासत के धनिकों को*_
_*चाहिये कोई उधार नहीं*_
_*ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं*_
_*है अपना ये त्यौहार नहीं*_
_*है अपनी ये तो रीत नहीं*_
_*है अपना ये त्यौहार नहीं*_
- *✍🏻राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर*
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