Sunday, 31 March 2019

राजीव मंगल बड़ी सादड़ी के मसीहा




डाक्टरों को ईश्वर का दूसरा प्रतिरूप माना जाता है। कहां जाता है कि चिकित्सक ईश्वर का ही दूसरा रूप है।
यह सच भी है। बड़ी सादड़ी सीएचसी पर कार्यरत डॉ.राजीव मंगल बड़ी सादड़ी की जनता के लिए ईश्वर का ही दूसरा प्रतिरूप साबित हो रहें हैं। केवल बड़ी सादड़ी ही नहीं आसपास के धरियावद छोटीसादड़ी कानोड़ तक के मरीजों एवं गर्भवती महिलाओं के लिए एक ईश्वरीय दूत साबित हो रहे हैं।
 राजीव मंगल अपने सौम्य स्वभाव के कारण बड़ी सादड़ी की जनता के दिलों पर राज कर रहे हैं।
कहां जाता है कि मरीज का आधा दर्द डाक्टर के सुकुन युक्त व्यवहार से  कम हो जाता है। ठीक वैसे ही राजीव मंगल भी प्रत्येक मरीज के साथ इसी प्रकार का मृदुल व्यवहार के लिए जाने जाते हैं।
कितनी ही भीड़ क्यों ना हो लेकिन उनके स्वभाव से कभी भी गुस्सा नहीं झलकता है।
रात के जिस भी समय मरीज तकलीफ में हो अपनी स्कूटी लिए अस्पताल में पहुंच जाते हैं।
कुछ लोगों ने बताया कि लोग उनकी स्कूटी की आवाज से ही पहचान लेते हैं।कि राजीव मंगल आ चूके हैं।
24घंटे किसी भी समय आप इस देवता से अपने बच्चों का इलाज करवा सकते हैं।
राजीव मंगल स्त्री एंव प्रसूता रोग विशेषज्ञ होनें के कारण यहां कि गर्भवती महिलाओं को कहीं पर भी भटकना नहीं पड़ता है। उन्हें हर प्रकार से राहत देने का काम राजीव मंगल करतें हैं। राजीव मंगल अभी तक जटिल आपरेशन एंव सर्प दंश से एक युवती को बचाने के मामले में चर्चा में रह  चूके हैं।


Friday, 29 March 2019

EVM से कैसे करें वोट

भारत में लोकतंत्र का महापर्व लोकसभा चुनाव 2019की रणभेरी भारत निर्वाचन आयोग की आदर्श आचार संहिता की घोषणा के साथ ही बज चूकी हैं।
ऐसे में आने वाले समय में अलग राज्यों में अलग  अलग समय पर चुनाव होंगे। ऐसे में एक मतदान जो प्रथम बार मतदान करने जा रहा है। वह ईवीएम मशीन से कैसे वोट करें।
सर्वप्रथम यंहा यह जानकारी आवश्यक है। कि भारत निर्वाचन आयोग 2019के चुनाव में M3 type की मशीनों का प्रयोग कर रहा है। तथा इस चुनाव में पहली बार सम्पूर्ण भारत में VVPATमशीनों का प्रयोग किया जा रहा हैं। जो आपके द्वारा दिए मत को सही व्यक्ति या सही पार्टी को दिया गया या नहीं को छपने वाली पर्ची को आप सात सैकेंड तक देख सकेंगे।
ईवीएम मशीन अर्थात इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से वोट डालने के लिए प्रत्याशी व पार्टी के चिन्ह के सामने वाले बटन को दबाएं। आपका वोट संबंधित व्यक्ति को चला जाएगा।
वीवीपीएटी मशीन आपके मत को कुछ देर के लिए प्रर्दशित करेंगी।

2019के चुनाव में बीएओ द्वारा बांटी गई वोटर स्लिप के साथ निर्वाचन आयोग द्वारा अधिकृत 11दस्तावेज आपको प्रस्तुत करना होगा।
आधार कार्ड
मनरेगा जाब कार्ड
बैंक डायरी
पैन कार्ड
अन्य पहचान पत्र जो किसी प्रमाणित संस्था द्वारा जारी किया गया हो।

Tuesday, 26 March 2019

सीतामाता वन्य जीव अभयारण्य

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ व प्रतापगढ़ में फैला वन्य जीव अभयारण्य जो लगभग 323वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ हैं। यह क्षेत्र रामायण कालीन घटनाओं से संबंधित लोककथाएं  के कारण प्रसिद्ध है। यह माना जाता है कि माता सीता ने अपना अंतिम समय यही बिताया था।
सीतामाता वन्य जीव अभयारण्य का निकटवर्ती रेलवे स्टेशन बड़ी सादड़ी हैं। जंहा से सीतामाता वन्य जीव अभयारण्य की दुरी 18किलोमीटर हैं
सीतामाता वन्य जीव अभयारण्य की शुरुआत दमदमा गेट से होती है। आगे जाकर भाग्यबावड़ी नामक पानी के दो छोटे कुंड स्थित है। जो मेलें के समय आने वाली लाखों की भीड़ के पानी पीने पर भी इसके जलस्तर  में   किसी प्रकार की कमी नहीं आती हैं।


आगे सफर में आपको यंहा हर  समय बहने वाली करमोई नदी के दर्शन होंगे जो कहते हैं। कि नौ अलग अलग धाराओं का रूप हैं। 
इसके आगे बारह बीघे में फैले बरगद के वृक्ष के दर्शन होंगे
कभी ये बरगद का वृक्ष लंबें क्षेत्र में फैले हुए था।


आगे के सफर में आपको वाल्मीकि आश्रम व धर्म कुंड पाप कुंड  सीतामाता के मुख्य मंदिर के दर्शन होंगे। 

बड़ीसादड़ी एक नजर में


चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय से 62 किमी दुरी पर स्थित शहर बड़ी सादड़ी अपने आप में एक अद्भुत कस्बा हैं।
यंहा का प्राचीन घंटाघर की घड़ियां आज भी समय बताने का काम करती है।
यंहा के मुख्य चोराहों में झाला मान सर्किल जिसे गोल चोराहें के नाम से भी जाना जाता है।
यह सर्किल झाला मानसिंह को समर्पित है। यंहा झाला मानसिंह की आदमकद प्रतिमा स्थापित हैं। 
इसके अलावा इस कस्बें का कानोड़ दरवाजा प्राचीन समय में लोगों को परकोटे के बाहर कानोड़ कस्बे की और जाने का मार्ग प्रदान करता था। बड़ी सादड़ी के सदर बाजार का प्राचीन समय में विशेष महत्व था। यह बाजार  कभी बसों से गुलजार रहा करता था। 
बड़ीसादड़ी की रोशनी में चार चांद  यहां का सूर्य सागर तालाब लगाता है। जो वर्षा ऋतु में अपने पूरे यौवन पर रहता है।ये बड़ीसादडी के लोगों के लिए पेयजल का स्रोत भी हैं।

वर्तमान समय में बड़ी सादड़ी में झाला मंगरी पर निर्मित झाला मन्ना का पेनोरमा  आने वाले समय में इस शहर के लिए चार चांद लगाने का काम करेगा।

23मार्च शहीद दिवस पर रक्त दान शिविर बड़ी सादड़ी में सम्पन्न

भारत मां के लाल शहीद भगतसिंह सुखदेव एंव राजगुरु कीशहादत एंव पुलवामा में शहीद हुए शहीदों के प्रति अपनी श्रृद्धांजलि   देने के लिए  टीम जीवनदाता चितौड़गढ एंव टीम आजद भगतसिंह के नेतृत्व में बड़ी सादड़ी में एक विशाल रक्त दान शिविर का आयोजन किया गया । जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।पहली बार किसी रक्त दान शिविर में नारी शक्ति ने रक्तदान किया
नारी शक्ति के रक्त दान को इस देश की महीलाओं के लिए एक संदेश हैं। कि राष्ट्र प्रेम व राष्ट्र के लिए शहादत देने वाले वीरों को सच्ची श्रद्धांजलि देने के वे हर समय तत्पर रहती हैं।
बड़ी सादड़ी की मातृ शक्ति को सलाम।इस नेक कार्य के लिए

पहली बार बहुत कम प्रचार एंव कम संसाधनों के बावजूद 236युनिट रक्तदान कर इस शिविर ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है।  रक्तदान को महादान माना जाता है। ऐसे में वर्तमान पीढ़ी ने दर्शाया की देश के लिए शहादत देने वाले शहीदों की याद में इस प्रकार श्रृद्धांजलि अर्पित करना एक अलग अनुभव हैं।
बिना किसी राजनीतिक दल किसी निजी संस्था एवं बिना किसी विशेष प्रचार के शहीद दिवस पर विशेष आयोजन अपने आप में काबिले तारीफ है। इस काम के लिए आज की युवा पीढ़ी को कोटि-कोटि धन्यवाद।
23मार्च शहीद दिवस

बड़ी सादड़ी क्यों हैं प्रसिद्ध

चित्तौड़गढ़ जिले का एक छोटा सा कस्बा जो भारत के इतिहास में अपनी अगल पहचान रखता है।
आज आपको बड़ी सादड़ी की विशेषताओं का ज्ञान करवाता हूं।
बड़ीसादड़ी की अपनी पहचान महाराणा प्रताप द्वारा अकबर द्वारा किए गए विश्व प्रसिद्ध युद्ध हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप का छत्र धारण कर युद्ध के मैदान से राणा प्रताप को सुरक्षित भेजनें एंव स्वंय का बलिदान देने वाले झाला मानसिंह उर्फ झाला बीदा के कारण हैं।
विश्व प्रसिद्ध हल्दीघाटी का युद्ध 21जून 1576को  हल्दीघाटी नामक स्थान पर लड़ा गया था । इसी युद्ध में राणा प्रताप का छत्र झाला मानसिंह ने धारण किया था। इस कारण बड़ी सादड़ी को झाला मान की नगरी के नाम से भी जाना जाता है।
बड़ी सादड़ी की एक और पहचान सीतामाता वन्य जीव अभयारण्य के कारण भी है। जो 323वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। ये अपने प्रसिद्ध उडन गिलहरी के कारण विश्व प्रसिद्ध हैं।  यंहा के अन्य दर्शनीय स्थलों में भागी वाबडी  गर्म ठंडे पानी के स्त्रोत यंहा बहने वाली प्रसिद्ध करमोई नदी हैं।
यंहा पर अनेक प्रकार के वन्य जीव विचरण करते हैं। मां सीता  का अन्तिम समय में भूमि में प्रवेश करने की लोक कथा इसी  सीता माता वन्य जीव अभयारण्य से जुड़ी हुई है।Image result for apna barisadri blog post











किसानों के लिए निराशा का कारण बनती बड़ी सादड़ी धान मंडी

बड़ी सादड़ी धान मंडी कहने में तो किसानों के क्रय विक्रय का सहकारी केन्द्र है। लेकिन यदि आप इस मंडी का एक बार भ्रमण करलेगें। तो निश्चित रूप...