विभिन्न प्रकार के संश्लेषित व अर्धश्लेषित कार्बन पदार्थों के योग से प्लास्टिक का निर्माण होता है।
आज प्लास्टिक हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। आज कल बाजार से हम हर छोटी-बड़ी चीजें खरीदतें समय उनके साथ प्लास्टिक की थैली अवश्य लेते हैं।
ऐसे में हमें यह जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है कि प्लास्टिक को सड़ने में लगभग 20 वर्ष का समय लगता है।
हजारों पशुओं की मौत प्लास्टिक के सेवन से होती हैं। हमारे द्वारा उपयोग में लाकर फैंका गया प्लास्टिक जानवर सेवन करते हैं। जो उनकी पाचन थैली में चिपक जाती है। जिससे उसकी पाचन शक्ति प्रभावित होती है। तथा धीरे धीरे वह मौत की और बढ़ता है।
भारत सहित पुरे विश्व में ई कचरा एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। कहीं कहीं ई-कचरे के ढेर देखें जा सकते है ।
विश्व के बड़े बड़े देश प्लास्टिक के कम प्रयोग को बढ़ावा देने के प्रयास में लगे हैं।
हमारे देश में भी प्लास्टिक के कम उपयोग हेतु विभिन्न राज्यों की सरकारों ने इस पर प्रतिबंध लगाने का काम किया है। लेकिन अभी तक किए गए प्रयास ना काफी साबित हो रहें हैं।
यदि इसी प्रकार से प्लास्टिक का उपयोग बढ़ता रहा तो लोगों में स्वास्थ्य संबंधी बिमारियों को बढ़ावा मिलेगा।
और सबसे भंयकर बिमारी कैंसर से भी जुझना पड़ता सकता है।
प्लास्टिक को जलाने से निकलने वाली भंयकर गैसों से वायु मंडल के दूषित होने का खतरा बढ़ रहा है। इन जहरीली गैसों के उत्सर्जन से लाल वर्षा के खतरे की घंटी बज चूकी हैं।
प्लास्टिक के प्रयोग से भूमि प्रदूषण में भी इजाफा होगा क्योंकि प्लास्टिक के विखंडन से भूमि प्रदूषित होगी। तथा प्लास्टिक भूमि में जल के रिसाव को रोकने कार्य करता हैं।
जिससे भूमि में जल प्रवेश नहीं कर पाता है। जो जल भूमि में प्रवेश कराता है। वह भी प्लास्टिक के सम्पर्क में आने से दूषित हो जाता है। ऐसे में प्रत्येक नागरिक का यह दायित्व बनता है कि वह प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करें।
ज़हां अत्यावश्यक हो वही इसका उपयोग किया जाए।
तथा हाथ थैलों वह टाट कै थैलों का प्रयोग अधिक किया जाए
लोग प्लास्टिक के कम प्रयोग करें इसके लिए भी जागरूक बनाने की आवश्यकता है।
आइए संकल्प लें हम आज से ही प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करेगे।
पुरा विश्व -बनेगा प्लास्टिक मुक्त
पढते रहिए अपना बड़ी सादड़ी
आज प्लास्टिक हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। आज कल बाजार से हम हर छोटी-बड़ी चीजें खरीदतें समय उनके साथ प्लास्टिक की थैली अवश्य लेते हैं।
ऐसे में हमें यह जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है कि प्लास्टिक को सड़ने में लगभग 20 वर्ष का समय लगता है।
हजारों पशुओं की मौत प्लास्टिक के सेवन से होती हैं। हमारे द्वारा उपयोग में लाकर फैंका गया प्लास्टिक जानवर सेवन करते हैं। जो उनकी पाचन थैली में चिपक जाती है। जिससे उसकी पाचन शक्ति प्रभावित होती है। तथा धीरे धीरे वह मौत की और बढ़ता है।
भारत सहित पुरे विश्व में ई कचरा एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। कहीं कहीं ई-कचरे के ढेर देखें जा सकते है ।
विश्व के बड़े बड़े देश प्लास्टिक के कम प्रयोग को बढ़ावा देने के प्रयास में लगे हैं।
हमारे देश में भी प्लास्टिक के कम उपयोग हेतु विभिन्न राज्यों की सरकारों ने इस पर प्रतिबंध लगाने का काम किया है। लेकिन अभी तक किए गए प्रयास ना काफी साबित हो रहें हैं।
यदि इसी प्रकार से प्लास्टिक का उपयोग बढ़ता रहा तो लोगों में स्वास्थ्य संबंधी बिमारियों को बढ़ावा मिलेगा।
और सबसे भंयकर बिमारी कैंसर से भी जुझना पड़ता सकता है।
प्लास्टिक को जलाने से निकलने वाली भंयकर गैसों से वायु मंडल के दूषित होने का खतरा बढ़ रहा है। इन जहरीली गैसों के उत्सर्जन से लाल वर्षा के खतरे की घंटी बज चूकी हैं।
प्लास्टिक के प्रयोग से भूमि प्रदूषण में भी इजाफा होगा क्योंकि प्लास्टिक के विखंडन से भूमि प्रदूषित होगी। तथा प्लास्टिक भूमि में जल के रिसाव को रोकने कार्य करता हैं।
जिससे भूमि में जल प्रवेश नहीं कर पाता है। जो जल भूमि में प्रवेश कराता है। वह भी प्लास्टिक के सम्पर्क में आने से दूषित हो जाता है। ऐसे में प्रत्येक नागरिक का यह दायित्व बनता है कि वह प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करें।
ज़हां अत्यावश्यक हो वही इसका उपयोग किया जाए।
तथा हाथ थैलों वह टाट कै थैलों का प्रयोग अधिक किया जाए
लोग प्लास्टिक के कम प्रयोग करें इसके लिए भी जागरूक बनाने की आवश्यकता है।
आइए संकल्प लें हम आज से ही प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करेगे।
पुरा विश्व -बनेगा प्लास्टिक मुक्त
पढते रहिए अपना बड़ी सादड़ी
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